गुरु सुदर्शन जन्म शताब्दी महोत्सव – रोहतक

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पुरानी आईटीआई मैदान में गुरु सुदर्शन जन्म शताब्दी वर्ष महोत्सव के अवसर पर समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक के सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले, उड़ीसा के महामहीम राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गुरु सुदर्शन महाराज को श्रद्धांजलि दी।

उड़ीसा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने कहा कि व्यक्ति को स्वार्थ से ऊपर उठकर मानव कल्याण के बारे में सोचना ताब्दी वर्णमहोत्सव चाहिए | सच्चे मानव में एकात्म व सह- अस्तित्व होता है। उन्होंने कहा कि भगवान का मन भी संगीत से खुश होता है। उन्होंने महाभारत युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गीता के उपदेश का भी उल्लेख किया । संत महात्मा तप व मौन के साथ त्याग करते है, जिसका कहीं भी स्वयं उल्लेख नहीं करते। गुरु सुदर्शन महाराज भी अपनी स्मृति में कुछ भी नहीं चाहते थे।

उन्होंने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता के अनुसार यदि मनुष्य का दिल साफ है तो सब कुछ संभव है। अंहिसा ब्रह्मांड के अस्तित्व की जननी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व को प्रेम शब्द के भाव समझाने का प्रयास किया है। उन्होंने उपस्थितगण का आह्वान किया कि वे गुरु सुदर्शन जी महाराज के दिखाये मार्ग का अनुसरण करें। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोल ने कहा कि गुरु के संदेश को जीवन में आत्मसात करें। अनेक मार्गों पर चलकर साधना की जा सकती है। भारत धर्म, कर्म व देव भूमि है। यहां पर सभी धर्मों के संतों ने मानव कल्याण का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि गुरु सुदर्शन महाराज ने सांझी संस्कृति पर चलते हुए मानवता का कल्याण किया है। संत-महात्मा हमें सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश देते है। हमें गुरु के सानिध्य में रहना चाहिए। उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान की घटना का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने मोहग्रस्त अर्जुन को गीता का संदेश देकर उसके मोह को नष्ट करते हुए उसके संदेह का निवारण किया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि अप्रैल 2023 तक गुरु सुदर्शन महाराज का जन्म शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है। हरियाणा सरकार संत महापुरुषों के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए संत महापुरुष विचार प्रसार योजना चला रही है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ब्रुश-पेंट खरीदने के पैसे नहीं थे तो सुदर्शन ने समुद्री बालू से आकृति बना कमाया नाम, आकृति भी तैयार की। उन्होंने बताया कि उनके घर के आर्थिक हालात खराब थे। पिता पंकज अलग रहने से मां सरोजिनी पर तीन बच्चों की जिम्मेदारी आ गई। ओडिशा के पुरी निवासी सुदर्शन ने भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद बताते हुए कहा कि मैं एक दिन समुद्री तट पर घूम रहा था। तभी उन्हें लगा कि समुद्री रेत से कुछ आकृतियां बनाई जा सकती हैं। लेकिन जो भी आकृतियां बनाते उन्हें लहरें बार-बार तबाह कर जातीं। हर रोज नए शोध किए तो फिर महारथ हासिल होती गई।

इसे कहते हैं समुद्री लहरों से लड़ने का साहस । समुद्री रेत से कलाकृतियों को तैयार करने वाले विख्यात कलाकार पद्मश्री सुदर्शन पटनायक ने बचपन में घोर गरीबी का सामना किया। भरपेट भोजन तक नसीब नहीं था। मजबूरी में पड़ोस में बाल मजदूर के रूप में काम किया। आर्थिक तंगी ऐसी थी कि छठवीं तक ही पढ़ाई कर सके। चित्रकारी से बचपन से ही लगाव था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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